सामाजिक अनुसन्धान (शोध) क्या है?
मनुष्य जन्म से ही एक जिज्ञासु एवं बौद्धिक प्राणी है। वह सदैव अज्ञात के प्रति यह जानने को प्रयत्नशील रहा है कि अज्ञात चीज़ क्या है, वह कैसे और क्यों विकसित हुई है? इसी प्रवृति के कारण वह नवीन वस्तुओं कि खोज करने हेतु भी तत्पर रहता है। जैसे - जैसे सभ्यता का विकास होता गया , वैसे - वैसे मानव में सामाजिक वास्तविकता को समझने की जिज्ञासा भी बढ़ती गई।
सामाजिक अनुसन्धान का सम्बन्ध सामाजिक वास्तविकता को विधिवत् रूप में समझने से है। आज सामाजिक अनुसन्धान ( शोध) समाज में पायी जाने वाली समस्याओं की प्रकृति को समझने, उनके कारणों का पता लगाने तथा उनका समाधान प्रस्तुत करने में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सामाजिक अनुसन्धान का सम्बन्ध सामाजिक जीवन,सामाजिक घटनाओं तथा सामाजिक वास्तविकता के विषय में नवीन जानकारी प्राप्त करने से भी है। इसी के आधार पर मानव व्यवहार से सम्बन्धित विभिन्न नियमों अथवा सिद्धांतो का प्रतिपादन किया जाता हैं।
सामाजिक अनुसन्धान की अवधारणा:-
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' सामाजिक ' (Social) तथा ' अनुसन्धान ' (Research ) ।
सामाजिक अनुसन्धान पर विद्वानों की परिभाषा:-
| "किसी समस्या के सन्दर्भ में ईमानदारी, विस्तार तथा बुद्धिमानी से तथ्यों, उनके अर्थो तथा परिणामों की खोज करना ही अनुसन्धान है।" -- कुक (Cook) ✍🏼 |
| "एक साथ रहने वाले लोगों के जीवन में क्रियाशील अंतर्निहित प्रक्रियाओं की खोज ही सामाजिक अनुसन्धान है।" -- बोगार्ड्स (Bogardus) ✍🏼 |


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