उपकल्पना का महत्त्व
सामाजिक अनुसन्धान में उपकल्पना एक ऐसा चरण है जिसका विशेष महत्त्व है। सामाजिक अनुसन्धान में उपकल्पना के महत्त्व का ज्ञान का निम्नलिखित बातों से होता है -
उपकल्पना का महत्त्व |
• अनुसन्धान के क्षेत्र को सीमित करना |
• अनुसन्धान को दिशा प्रदान करना |
• क्षेत्र की निश्चितता |
• अध्ययन की सरलता |
• सम्बद्ध तथ्यों के संकलन में सहायक |
• सत्यता की खोज में सहायक |
• अनुसन्धानकर्त्ता को समस्या का पूर्वज्ञान |
• निष्कर्ष निकालने में सहायक |
• अनुसन्धान के क्षेत्र को सीमित करना -
उपकल्पना के कारण अनुसन्धानकर्त्ता को पहले से ही यह पता रहता है कि उसे किस वस्तु का क्या, कितना और कैसे अध्ययन करना है। वास्तव में, अनुसन्धानकर्त्ता विषय से सम्बन्धित प्रत्येक पहलू का अध्ययन नहीं कर सकता। उपकल्पना उसके अनुसन्धान क्षेत्र को सीमित करने में सहायक है।
• अनुसन्धान को दिशा प्रदान करना -
उपकल्पना के बिना अनुसन्धान दिशाहीन है। उपकल्पना अनुसन्धानकर्त्ता के लिए पथ - प्रदर्शक का कार्य करती है। उसको ज्ञात रहता है कि क्या करना है तथा किस दिशा की ओर बढ़ना है।
" एक उपकल्पना बताती है कि हम किसकी खोज कर रहे हैं।" ✍️ गुड एवं हैट के अनुसार |
• क्षेत्र की निश्चितता -
उपकल्पना के कारण एक अनुसन्धानकर्त्ता को पहले से ही यह पता रहता है कि उसको कौन-सी सूचना कहां से मिल सकती है और वह उन्हें किस प्रकार प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार, उसका अध्ययन काफी सीमा तक सुनिश्चित हो जाता है।
• अध्ययन की सरलता -
उपकल्पना के कारण अनुसन्धानकर्त्ता का कार्य - क्षेत्र सीमित हो जाता है और वह किसी भी समस्या के विशिष्ट क्षेत्र का अध्ययन सरलता से कर सकता है। उसे इससे स्पष्टतया यह पता चल जाता है उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है।
• सम्बद्ध तथ्यों के संकलन में सहायक -
उपकल्पना समस्या से सम्बन्धित तथ्यों के संकलन में भी सहायता देती है। उपकल्पना के कारण ही, अनुसन्धानकर्त्ता केवल विशिष्ट तथ्यों का ही संकलन करता है तथा इस प्रकार वह व्यर्थ के तथ्यों को एकत्रित करने में अपने समय का दुरुपयोग नहीं करता; अत: यह समय की बचत करती है और केवल सम्बन्धित तथ्यों पर ही ध्यान केन्द्रित करती है।
• सत्यता की खोज में सहायक -
उपकल्पना स्पष्टता, निश्चितता तथा तथ्यों की प्रामाणिकता के कारण सत्य की खोज करने में सहायक है। उपकल्पना की प्रामाणिकता की जांच वास्तविक तथ्यों के आधार पर ही की जाती है। चाहे उपकल्पना प्रमाणित न हो सके, परन्तु इसे नकारात्मक सिद्ध करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना कि इसे प्रमाणित करना ।
• अनुसन्धानकर्त्ता को समस्या का पूर्वज्ञान -
उपकल्पना के कारण अनुसन्धानकर्त्ता को पता रहता है कि उसको किस समस्या का कितनी सीमा तक अध्ययन करना है; अत: वह केवल उन्हीं तथ्यों का संकलन करता है जो उसके अध्ययन - कार्य में उसकी सहायता कर सकें।
" उपकल्पना के प्रयोग से उन तथ्यों की अंधी खोज व अन्धाधुन्ध संकलन पर नियंत्रण होता है जो बाद में अध्ययन के लिए आने वाली समस्या के लिए अप्रासंगिक सिद्ध हो।" ✍️ पी० वी० यंग के अनुसार |
• निष्कर्ष निकालने में सहायक -
उपकल्पना निष्कर्ष निकालने में सहायक है। यदि उपकल्पनाओं की प्रामाणिकता की जांच हो जाती है तो उपकल्पनाएं ही निष्कर्ष बन जाती हैं। यह अनुसन्धान को जोड़ने वाली कड़ी तथा इसे उद्देश्यपूर्ण बनाकर निष्कर्ष निकालने में सहायक है। यदि उपकल्पना सिद्ध नहीं होती तो इनका नकारात्मक रूप ही निष्कर्ष है।
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि उपकल्पना का वैज्ञानिक अनुसन्धान में महत्त्वपूर्ण स्थान है तथा यह अनुसन्धान को दिशा प्रदान करने एवं सम्बन्धित आंकड़ों के संकलन में सहायक है।

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