उपकल्पना (Hypothesis)
सामाजिक अनुसन्धान के अनेक चरण होते हैं। इन चरणों में उपकल्पना का निर्माण एक महत्त्वपूर्ण चरण माना जाता है। यद्यपि सभी प्रकार के अनुसन्धान अभिकल्पों में उपकल्पना का निर्माण करना अनिवार्य नहीं है, तथापि उपकल्पना वाले अनुसन्धान अभिकल्पों को अधिक अच्छा माना जाता है। इससे न केवल अनुसन्धान दिशाहीन होने से बच जाता है, अपितु उपकल्पनाऍ प्रत्येक चरण में अनुसन्धान का मार्गदर्शन करती हैं तथा उसे अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती हैं।
| उपकल्पना का अर्थ | उपकल्पना की परिभाषाएं |
💮💮उपकल्पना का अर्थ💮💮
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प्रत्येक सामाजिक अनुसन्धान की पूर्ण प्रक्रिया का प्रमुख उद्देश्य निर्धारित उपकल्पना की सत्यता - असत्यता की जांच करना ही होता है।
' उपकल्पना ' अंग्रेजी के 'Hypothesis' शब्द का हिंदी रूपांतर है,
जो दो भागों (1) 'Hypo' तथा (2)'Thesis' में बांटा जा सकता है।
(1) 'Hypo' का शाब्दिक अर्थ है- ' काल्पनिक '
(2) 'Thesis' का शाब्दिक अर्थ है- ' प्रस्तावना '
इस प्रकार ' उपकल्पना ' का शाब्दिक अर्थ है " काल्पनिक प्रस्तावना " है।
💮💮उपकल्पना पर समाजशास्त्रियों की परिभाषाएं:-💮💮
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| " उपकल्पना एक प्रस्तावना है जिसकी प्रमाणिकता सिद्ध करने हेतु उसका परीक्षण किया जा सकता है।" ✍️ गुड एवं हैट के अनुसार |
"एक कार्यवाहक विचार, जो उपयोगी खोज का आधार बनता है, कार्यकारी उपकल्पना के नाम से जाना जाता है।" ✍️ पी० वी० यंग के अनुसार |
| " उपकल्पना एक अनुमान है, जिसे अन्तिम अथवा अस्थायी रूप में किसी निरीक्षित तथ्य अथवा दशाओं की व्याख्या हेतु स्वीकार किया गया हो एवं जिससे अन्वेषण को आगे पथ - प्रदर्शन प्राप्त होता है।" ✍️ गुड एवं स्केट्स के अनुसार |
इन परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि उपकल्पना एक काल्पनिक प्रस्तावना है जिसकी जॉच की जा सकती है; परन्तु इन प्रस्तावनाओं की प्रकृति ऐसी होनी चाहिए जिससे इनकी प्रामाणिकता की जांच हो सके। यदि किसी उपकल्पना की प्रामाणिकता की जांच नहीं की जा सकती तो हम उस प्रस्तावना को उपकल्पना नहीं कह सकते। उपकल्पना को अनुसंधानकर्त्ता पहले ही कल्पना के आधार पर निर्मित कर लेता है और फिर तथ्यों का संकलन करके उसकी प्रामाणिकता की जांच करता है।
| उपकल्पना के प्रमुख स्रोत ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
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उपकल्पना के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं-
• वैज्ञानिक सिद्धांत-
उपकल्पना के निर्माण में वैज्ञानिक सिद्धांत मुख्य स्रोत के रूप में काम करते हैं। प्रत्येक विज्ञान के कुछ सिद्धान्त होते हैं और ये सिद्धान्त अन्य विज्ञानों या समस्याओं को भी प्रभावित करते हैं। इन सिद्धान्तों में पाए जाने वाले सार्वभौमिक तत्त्व वैज्ञानिक उपकल्पना के आधार बनते हैं। उनके द्वारा एक वैज्ञानिक को यह पता चलता है कि उसकी अध्ययन - वस्तु के सम्बन्ध में पूर्व खोज किस सीमा तक हो चुकी है।
• उपमाएं -
उपकल्पनाओं के निर्माण में उपमाओं का भी विशेष महत्त्व है। जिस प्रकार समान परिस्थितियों अथवा पर्यावरण में समान प्रकार की वनस्पति उत्त्पन्न होती है, उसी प्रकार समान परिस्थितियों के उत्पन्न होने पर मानव - व्यवहार तथा सामाजिक समस्याओं में भी समानताएं पायी जाती है। इस समरूपता के आधार पर उपकल्पना का निर्माण किया जा सकता है।
• सामान्य संस्कृति -
सामान्य संस्कृति भी उपकल्पनाओं का महत्त्वपूर्ण स्रोत हो सकती है। प्रथा, रीति - रिवाजों, रूढ़ि तथा लोकरीतियों का उपकल्पना के निर्माण में विशेष महत्त्व है; अत: सभी सामाजिक समस्याओं के सम्बन्ध में उपकल्पना का निर्माण करने में समाज की संस्कृति के तत्त्व महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
• व्यक्तिगत अनुभव -
उपकल्पना के निर्माण में व्यक्तिगत अनुभव भी एक स्रोत के रूप में कार्य करता है। एक कुशल वैज्ञानिक अपने अनुभव के आधार पर अनेक घटनाओं के सम्बन्ध में उपकल्पना का निर्माण कर सकता है। एक समाजशास्त्री अनेक सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करते - करते इतना कुशल हो जाता है कि वह सामाजिक घटनाओं के सम्बन्ध में अनेक उपकल्पनाओं का निर्माण कर सकता है।


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