प्रतियोगी जीवन का साथी: ✒️निर्णय - निर्माण प्रशासनिक प्रक्रिया

✒️निर्णय - निर्माण प्रशासनिक प्रक्रिया






✍️ निर्णयन का शाब्दिक अर्थ अन्तिम परिणाम तक पहुॅचने से लगाया जाता हैं, जबकि व्यवहारिक दृष्टिकोण से इसका तात्पर्य निष्कर्ष पर पहुंचने से हैं।

"चुने हुए विकल्पों में से किसी एक के सम्बन्ध में निर्णय करना ही निर्णयन कहलाता हैं।" ✍️ - डॉ० जे० सी० ग्लोवर


"प्रशासनिक निर्णय एक प्रक्रिया हैं जिसमें एक व्यक्ति - संगठन में दूसरे व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करने के लिए निर्णय करता है जिससे वे व्यक्ति संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपना योग दे सके।"                    ✍️   - लुण्डबर्ग


निर्णय प्राय: नीति, नियम, आदेश अथवा निर्देशन के रूप में अभिव्यक्त होते है। सामान्यत: निर्णय काफी जटिल हो जाते हैं, लेकिन अनेक निर्णय ऐसे भी होते हैं जिनमें विचार - विमर्श करना अधिक आवश्यक हो जाता हैं।






प्रबंधक का महत्त्वपर्ण कार्य निर्णय लेना हैं। प्रबंधक जो कुछ भी करता हैं निर्णयों के द्वारा ही करता हैं। प्रत्येक व्यक्ति के समक्ष कार्य करने के संबंध में अनेक विकल्प होते हैं। उन विकल्पों में सर्वोत्तम का चयन करना ही निर्णय लेना कहलाता हैं। 

साइमन का यह विचार बहुत उचित प्रतीत होता है कि निर्णय लेना ही प्रशासन है । निर्णय प्रक्रिया को प्रशासनिक संगठन का केंद्र - बिंदु मानने वाले सभी विद्वान् यह स्वीकार करते हैं कि प्रत्येक संगठन में  'निर्णयकर्त्ता‌ केंद्र' निर्णायक एवं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा संगठन के अन्य सभी अंग इसके द्वारा लिए गए निर्णयों के अनुरूप कार्य करते हैं। वर्तमान समय में निर्णय - निर्धारण प्रक्रिया का महत्त्व बहुत बढ़ गया है।



निर्णय - निर्माण के लक्षण:-


👉 यह विभिन्न विकल्पों में से किसी एक का चयन करने की प्रक्रिया है।

👉 यह एक तार्किक एवं बौद्धिक प्रक्रिया हैं।

👉 यह प्रशासक की सार्वभौमिक पहचान की ओर संकेत करता है।

👉 प्रशासनिक निर्णय प्रक्रिया स्वभावत: राजनीतिक निर्णय से अधिक जटिल, अधिक मिश्रित, अधिक चुनौतीपूर्ण एवं वैज्ञानिक होती है।

👉 निर्णय नकारात्मक तथा सकारात्मक दोनों प्रकार का होता है। निर्णय न लेने कि इच्छा भी एक निर्णय हो सकता है।

👉 निर्णयों में उद्देश्यों का समावेश रहता है, क्योंकि उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ही निर्णय लिए जाते हैं।



विभिन्न वैकल्पिक समाधानों की खोज करने के उपरान्त इन विकल्पों का निर्णय करने की दृष्टि से मूल्यांकन करना ही निर्णय प्रक्रिया का महत्वपूर्ण चरण है। 

विकल्पों का मूल्यांकन निम्नलिखित तथ्यों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए - 


➡️ उद्देश्यों की प्राप्ति में सहयोग

➡️ विकल्पों की लागत

➡️ विकल्पों की उपयुक्तता

➡️ समय

➡️ विकल्पों के परिणाम



प्रशासन का यह सबसे महत्त्वपूर्ण दायित्व है कि वह सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चयन करें। प्रशासकों के अनुभव, प्रयोग, अनुसन्धान एवं विश्लेषण, इत्यादि सर्वश्रेष्ठ विकल्प के चयन के साधन हो सकते हैं। निर्णयों को लेने में प्रशासकों के दैनिक अनुभव बहुत महतत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं।




जब किसी निर्णय कि कार्यरूप प्रदान किया जाता है तो प्रशासक को चाहिए कि वह उस निर्णय के प्रभावों का मूल्यांकन करे तथा उनके सम्बन्ध में सभी आवश्यक सूचनाओं को एकत्रित करे । साथ - ही - साथ प्रशासक को चाहिए कि वह उन किर्याओं पर भी नियंत्रण स्थापित करे जो कि निर्णय को कार्यरूप प्रदान करने के लिए की जा रही हैं।



उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि प्रशासक को निर्णय - निर्माण समय अनेक कारकों तथा परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए। यहाॅ यह बात विशेष रूप से उललेखनीय है कि प्रत्येक निर्णय में उपर्युक्त सभी तथ्यों का सावधानीपूर्वक प्रयोग किया जाना चाहिए जिससे वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके। निर्णय - निर्माण के पश्चात् उसका सफतापूर्वक क्रियान्वयन बहुत महतत्वपूर्ण हैं।

                                                                                                        📝 मो० नदीम👮

           



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